सुनो ओ भाई सुनो रे बहना
हम सबको मिलकर ये कहना,
धरती को मिलकर है बचाना
जनसंख्या अब नहीं बढ़ाना…
बढ़ती है आबादी तो
बर्बादी फिर ये लाती है,
विपदाएं जब आएं
तब ये बात समझ में आती है…
जंगल-जंगल काट के तुमने
अपने महल बनाएं हैं,
परचम दुनिया में फैला कर
नाम भी खूब कमाएं हैं…
सुख-सुविधा की खातिर तुमने
सृष्टि से खिलवाड़ किया,
सीना चीरा है पृथ्वी का
पर्यावरण बिगाड़ दिया…
बोझ बढ़ेगा अचला पर तो
वो भी रूप दिखाएगी,
मानव निर्मित मोहक दुनिया
मिट्टी में मिल जाएगी…
क्यों आज के लिए करें हम
कल का अपने नाश बता,
अपनी पीढ़ी के ख़ातिर
सृष्टि का करें विनाश बता?
आओ हम संकल्प करें
नियंत्रित रखेंगे परिवार
जनसंख्या पर रोक लगा
पृथ्वी का कम होगा फिर भार।।