मैं कर्म हूँ, तुम फल हो,
मैं अतीत, तुम भावी कल हो,
मैं प्रार्थी, तुम प्रार्थना हो,
तुम यथार्थ, मैं कल्पना हूँ,
मैं अल्हड़ नदी, तुम शांत सागर हो,
मैं कुछ अधीर, तुम सहनशील गागर हो,
मेरा रूठना तुम, मनाना भी तुम हो,
मेरे गीत शब्द, गुनगुनाना भी तुम हो,
मेरे शब्दों की प्रेरणा में तुम हो,
मेरे रस-श्रृंगार करुणा में तुम हो,
मेरे दिन-रात अनंत में तुम हो,
मेरे प्रेम के आदि और अंत में तुम हो।