उड़ान

poem on women empowerment in hindi

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ऐ सखी! आज रोको न मुझे,

भूल जाने दो हर खुशी और ग़म को।

ओढ़ लेने दो खुले आसमाँ की चादर,

उड़ जाने दो तन से आँचल को।

 

धुल जाने दो काजल को आँखों से,

भर लेने दो खुद में समंदर को।

उड़ जाने दो उजली-सी रंगत,

खिलखिलाने दो सूरज की किरण को।

 

खोल दो मेरे पैरों के बंधन,

पैर पहना दो अल्हड़ तरंग को।

भूल जाने दो दुनिया की रस्में,

प्यार खुद से जताने दो मुझको।

 

ऐ सखी!आज रोको न मुझे।।

 

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