सर्वगुण सम्पन्न

poem on dahej pratha in hindi

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चाहिए चाहिए चाहिए….

विवाह योग्य एक सुंदर सुशील कन्या,

जिसमें ज्यादा नहीं पर कुछ ऐसे गुण ज़रुर हों :

कद हो जिसका लंबा, रंग हो जिसका गोरा,

लंबे जिसके बाल, सीधी जिसकी चाल,

और कोई डिमांड नहीं है…

बनाना आता हो खाना, गाना आता हो गाना,

सिलाई कढ़ाई बुनाई, ये तो आना ही चाहिए भाई,

और कोई डिमांड नहीं है…

नाक हो जिसकी सीधी, आँखें काली काली,

मोटी तो बिल्कुल न हो, हो छरहरे बदन वाली,

और कोई डिमांड नहीं है…

पढ़ी लिखी भी होये, करी हो एम.ए. – बी.ए.,

हिसाब की हो जो पक्की, मंदिर में जलाये दिए,

और कोई डिमांड नहीं है…

करे वो सबकी सेवा, पर मुँह से कुछ न बोले,

हो सहनशीलता की मूरत, वाणी में अमृत घोले,

और कोई डिमांड नहीं है…

दहेज में लाये जो गाड़ी, न हो वो नखरेवाली,

पर्दा जो सबसे करे और, हरदम पहने जो साड़ी,

और कोई डिमांड नहीं है…

छत्तीसों गुण की हो माया, न मंगल की हो छाया,

जोड़ी हो राम और सीता, सरकारी नौकरी को वरीयता,

और कोई डिमांड नहीं है

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