कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा

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हे कृष्ण! तुम्हें फिर आना होगा,

अपनी लीला दिखलाना होगा,

मानवता की रक्षा करने,

कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा!


मुख सुंदर मोर मुकुट साजे,

अधरों पे मुरली ही बाजे,

अनुराग त्याग समझाने को,

गोपी संग रास रचाना होगा,

कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा!


कलयुग की काली माया है,

चहुं ओर द्वेष की छाया है,

मानवता जीवित रखने को,

जीवन दर्शन सिखलाना होगा,

कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा!


पग-पग में दानव फैले हैं,

नारी की देह से खेले हैं,

हर भगिनी की रक्षा करने,

हाथों को चीर बनाना होगा,

कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा!


भाई-भाई में प्रेम कहाँ?

घर-घर दुर्योधन बैठे हैं,

अभिलाषाओं की अग्नि से,

अब लाक्षागृह को बचाना होगा,

कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा!


नारायण पर जो संशित हो,

अपमान करे जनमानस का,

उन शिशुपालों के वध के लिए,

सुदर्शन चक्र उठाना होगा,

कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा!


मानव जब लक्ष्यविहीन लगे,

पथ सत्य का बड़ा ही दुर्गम हो,

देने साहस उस अर्जुन को,

गीता का ज्ञान सुनाना होगा,

कृष्ण तुम्हें फिर आना होगा!


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