ख वर्ण की कविता

cha vyanjan geet

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ख से खटिया, ख से खत,

हंसना खुल के रोना  मत,

 

खराब खाने को मत खाओ,

खेल खिलौने खूब सजाओ,

 

खिचड़ी खीर है सबको भाती,

खीरा ककड़ी का है साथी,

 

ख से खोया, ख से खस्ता,

रोज लगाओ अपना बस्ता,

 

पढ़ो लिखो खुलकर तुम चहको,

खुशबू की तरह ही महको

 

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