जीवन की नाव By खुशबू गुप्तागीत-ग़ज़ल, पद्य, सामाजिक यह रचना आप इन सोशल प्लेटफार्म पर भी देख सकते हैं Facebook Twitter Youtube Instagram जीवन की नाव,लहरों के साथ,कभी ऊंची जाती, कभी नीचे आती,कभी शांत सागर में रहती,कभी लहरों से टकराती,कभी लड़ने की ज़िद करती,कभी टूट कर बिखर जाती,कभी अकेली तैरती,कभी काफिला ले आती,कभी पवन के साथ चलती,कभी हवा को चीर जाती,कभी मँझधार में फंसती,कभी मंजिल पा जाती,ऐसे ही चलती रहती अपनी,जीवन की नाव। साझा करें: