च वर्ण की कविता

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चूहे जी ने चीनी खाई,

चिड़िया दाना संग ले आई। 

 

 

चींटी को रसगुल्ला भाया,

दादी माँ ने चना चबाया।

 

 

दादा जी ने चश्मा पहना,

चिंकी को भी भाया गहना।

 

 

चाचा-चाची खाए चाट,

घूम घूमकर देखे हाट।

 

 

सबने मिलकर रंग जमाया,

धूम-धड़ाका खूब मचाया।

 

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