एक बार की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम था रोहन। रोहन उस गाँव के सरकारी स्कूल में कक्षा पाँच का छात्र था।रोहन एक बहुत ही होशियार बच्चा था। वह हर वर्ष अपनी कक्षा में अव्वल आता था। पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों जैसे भाषण देना, कविता पाठ, चित्रकला व खेलकूद में भी उसकी बहुत रुचि थी। बड़ों के प्रति रोहन का व्यव्हार भी बहुत अच्छा था। वो एक सीधा-सादा लेकिन दिमाग से बहुत होनहार लड़का था। रोहन के सभी शिक्षक उस पर बहुत गर्व करते थे।
एक बार की बात है, रोहन के शिक्षक अजय सर को पता चला कि राष्ट्रीय स्तर की एक भाषण प्रतियोगिता होने जा रही है, जिसमें देश भर के चुने हुए सबसे अच्छे छात्रों को भाग लेना है। अजय सर ने रोहन को इस प्रतियोगिता के लिए तैयार किया। क्योंकि अजय सर को रोहन पर भरोसा था कि वो इसे जीत सकता है। इस प्रतियोगिता में एक खास बात यह भी थी, कि इसमें कुछ विदेशी छात्र भी भाग लेने आ रहे थे। सारे विदेशी छात्र अंग्रेजी में या अपनी-अपनी भाषा में भाषण देने वाले थे। जब रोहन को ये बात पता चली तो वो थोड़ा घबरा गया क्योंकि अंग्रेजी उसे आती तो थी लेकिन वो बोलने में संकोच करता था। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चे अपनी-अपनी भाषा में भाषण देने के लिए स्वतंत्र थे।
रोहन ने भी इस प्रतियोगिता की तैयारी में जी जान से खूब मेहनत करी। भाषण का विषय था “अपना देश”। यह प्रतियोगिता हमारे देश की राजधानी दिल्ली में होनी थी। दिल्ली के बारे में रोहन ने बहुत कुछ पढ़ा था। जब उसे यह बात पता चली कि प्रतियोगिता दिल्ली में होने जा रही है तो उसने अजय सर से दिल्ली घूमने की बात कही। अजय सर भी मान गए क्योंकि अपने देश को जानने के लिए दिल्ली में बहुत सारी जगह थीं। अजय सर और रोहन दोनों लोग प्रतियोगिता से दो दिन पहले ही दिल्ली रवाना हो गए और वहाँ जाकर अजय सर ने रोहन को लाल किला, कुतुबमीनार , इंडिया गेट जैसे और भी कई स्मारकों के दर्शन कराय। रोहन ये सारी इमारतें बहुत ध्यान से देख रहा था और अपने देश और यहाँ की संस्कृति पर बहुत गर्व महसूस कर रहा था।
अब भाषण वाला दिन आया। रोहन अपने गुरु जी के साथ प्रतियोगिता में भाग लेने गया। वहाँ अपने प्रदेश के होनहार छात्रों के साथ-साथ कुछ विदेशी छात्र भी पहुंचे। उनकी वेशभूषा व अंग्रेजी सुनकर रोहन थोड़ा घबराने लगा। और तो और उसका आत्मविश्वास तब ज्यादा हिल गया जब उसने देखा कि उसके ही देश के बाकी बच्चे भी सबके सामने अपना प्रभाव दिखाने के लिए अंग्रेजी में ही भाषण दे रहे हैँ। रोहन के सर ये सब देख कर समझ रहे थे।
वो रोहन के पास गए और उससे उसके डर का कारण पूछI। जब रोहन ने अपने मन की बात बताई तो अजय सर ने उसे बहुत ध्यान से समझाया “रोहन, जो बच्चा जिस भी भाषा में बोल रहा है उसे बोलने दो। उससे तुम बिलकुल भी परेशान मत हो। यहाँ बैठे निर्णायक गण भाषा नहीं बल्कि सबके विचार जानना चाहते हैं। और वो उसी आधार पर तुम सबको अंक देंगे। उन्होंने उसे समझाया कि हमें अपनी भाषा पर हमेशा गर्व होना चाहिए। हमारी भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओँ में से एक है। अपनी भाषा को कम नहीं समझना चाहिए। अपनी भाषा को कम समझना अपने देश को कम समझना है।
अजय सर की बातों का रोहन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उसकी बारी आने पर उसने अपने देश के ऊपर बहुत ही शानदार भाषण दिया वो, भी हिंदी में। उसने किसी और देश व उसकी भाषा की बुराई करे बिना अपने देश की अनगिनत अच्छाइयाँ बताईं। रोहन के हर शब्द में आत्मविश्वास झलक रहा था। उसकी भाव-भंगिमा बता रही थी कि वो किसी का भी निरादर नहीं कर रहा। अंत में उसने ये भी कहा कि मुझे अपने देश पर और अपनी भाषा पर बहुत गर्व है।
उसके भाषण खत्म होने के बाद पूरा हॉल तालियों की आवाज से गूँज उठा। यहाँ तक कि सभी विदेशी छात्र भी खूब तालियाँ बजा रहे थे।जैसे ही निर्णायक मंडल ने रोहन को विजयी घोषित किया तो सभी बच्चों ने रोहन को अपनी गोद में उठा लिया। उसके बाद रोहन ने अजय सर के पैर छुए और उन्होंने उसे अपने गले से लगा लिया।
हमे दूसरों के प्रभाव में आकर अपने देश और अपनी मातृभाषा को कम नहीं समझना चाहिए। हमे अपने देश और अपनी भाषा पर हमेशा गर्व करना चाहिए।