हाल-चाल सब पूछें हैं,
रिश्तों में लेकिन दूरी है,
फोन चलाते रातों को,
फिर कहते नींद अधूरी है,
दान दिया, फोटो खिंचवाई,
कहते मन्नत पूरी है,
दोस्त बुलाए मिलने को,
तो कहते काम ज़रूरी है,
दिल में दर्द बहुत है,
बस मयखाने की दूरी है,
हिंदी में बतियाना चाहें,
अंग्रेजी मजबूरी है,
नौकरशाही के जो आदी,
करते जी हजूरी हैं,
माँ-बाप का काम ही क्या,
जब बच्चों की मंजूरी है,
महफ़िल में भी खामोशी,
सबमें अपनी मगरूरी है,
इस दुनिया की भीड़-भाड़ में,
एक पहचान ज़रूरी है।