डाल-डाल पर कलियाँ महकीं,
कोयल प्यारी देखो चहकी,
सोने जैसी सरसों छाई,
मनभावन बसंत है आई,
गेंहू जौ फिर से लहराई,
बौर आम की झर-झर छाई,
तितली रानी पंख फैलाए,
फूलों पे भवरे मंडराए,
प्रकृति का कण-कण मुसकाया,
नई चेतना मन में लाया,
वाणी की देवी माता को,
प्रेम भाव से शीश नवाया,
शिशिर मास प्रस्थान है करता,
विहग-वृंद नभ में है विचरता,
रंग बिरंगे फूल खिले और,
होरी-फाग से मन है महकता,
ऋतुराज का स्वागत करने,
हर प्राणी ने बाँह फैलाई,
नव ऊर्जा जीवन में भरने,
मनभावन बसंत है आई।