माँ

माँ - hindi poem on mother

यह रचना आप इन सोशल प्लेटफार्म पर भी देख सकते हैं

 

रंग धर्म जाति भाषा,

इन सबसे तुम ऊपर हो,

माँ तो बस माता होती है,

चुका नहीं जिसका ऋण हो,

 

नन्ही सी एक बेटी जब,

सुंदर दुनिया में आती है,

मात-पिता दादा-दादी,

सबकी दुनिया बन जाती है,

 

बढ़ती है हर दिन हर पल,

ममता की कोमल छाँव तले,

छोड़ के बाबुल का आँगन,

घर अपना वो बसाती है,

 

नए घर-परिवार में जब,

रम नहीं वो पाती है,

तब माँ की बताई हुई,

हर सीख काम में आती है,

 

माँ के रूप को धारण कर के,

दिल जीतना चाहती है,

नन्ही सी वो प्यारी बिटिया,

माँ जैसी बन जाती है,

 

माँ, जो खुद संसार है पूरा,

न वो हो तो सब है अधूरा,

और कहाँ से शब्द वो लाऊँ,

माँ की महिमा कह न पाऊँ।

 

साझा करें:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *