क्यों दुनिया भर में तू सबको, पाठ ज्ञान का देता ‘नेक’।
दुनिया को जाने दे पगले, प्यारे पहले खुद को देख।
समय बड़ा अनमोल है, छींटाकशी में इसे गँवाओ मत।
खुद को पहले चंगा कर ले, सबके दोष गिनाओ मत।
बिन माँगे ही माल ज्ञान का, सबको क्यूँ रहा है ‘बेंच’।
दुनिया को जाने दे पगले, प्यारे पहले खुद को देख।
अच्छी-अच्छी बातें करना, होता है आसान बड़ा।
देना हो उपदेश किसी को, आता इसमें मज़ा बड़ा।
उन उपदेशों को जीवन में, अपने भी अपना के ‘देख’।
दुनिया को जाने दे पगले, प्यारे पहले खुद को देख।
उपदेशों का सार कभी, अपने जीवन उतरायेगा।
अधजल ज्ञान छलकना तेरा, अनायास थम जाएगा।
ज्ञान चक्षु को खोल ज़रा अब, अहंकार की छोड़ दे ‘टेक’,
दुनिया को जाने दे पगले, प्यारे पहले खुद को देख।।