लोकतंत्र का पर्व है आया,
ज़िम्मेदारी का हो बोध,
आओ अपना फर्ज़ निभाएं,
सब मिलकर दे आएं वोट,
सत्ता लोभी, भ्रष्टाचारी,
अवसरवादी या व्याभिचारी,
करो इनके वजूद पे चोट,
इनको न देना तुम वोट,
चेहरे पीछे चेहरा इनका,
मौका पाकर भेष बदलते,
ये तो हैं थाली के बैगन,
पल भर में पाला हैं बदलते,
वोट डालना सोच समझकर,
चाहे दे कोई ढेरों नोट,
आओ अपना फर्ज़ निभाएं,
सब मिलकर दे आएं वोट,
काकी, मामी, चाची, दादी,
घर से निकलो बारी-बारी,
लोकतंत्र की विजय कराएं,
सच्चा नेता चुनकर लाएं,
अपना मत उसको तुम देना,
ना हो जिसके दिल में खोट,
आओ अपना फर्ज़ निभाएं,
सब मिलकर दे आएं वोट।